मुजफ्फरनगर कांड की बरसी के अवसर पर वरिष्ठ आंदोलनकारी उक्रांद के केंद्रीय सरक्षक सुरेंद्र कुकरेती ने शहीदों को धार्मिक विधि विधान के साथ तर्पण देकर श्रद्धांजलि अर्पित की

 


विकासनगर में शहीद स्थल पार्क में आंदोलनकारी मंच एवम उत्तराखंड क्रांति दल के संयुक्त तत्वावधान में उत्तराखंड आंदोलन के काला दिवस 2 अक्टूबर 1994 मुजफ्फरनगर कांड की बरसी के अवसर पर वरिष्ठ आंदोलनकारी उक्रांद के केंद्रीय सरक्षक सुरेंद्र कुकरेती  ने शहीदों को धार्मिक विधि विधान के साथ तर्पण देकर श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि देने वालों में बड़ी संख्या में आंदोलनकारी, युवा, मातृ शक्ति एवम वरिष्ठजन शामिल थे।
तर्पण देने के पश्चात आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष, यूकेडी के केंद्रीय सरक्षक वरिष्ठ आंदोलनकारी  सुरेंद्र कुकरेती  ने कहा कि हम आज भी शर्मिंदा है की अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री जैसे महान पुरुषों की जयंती पर उत्तराखंड के निहत्थे आंदोलनकारी पर तत्कालीन सरकार द्वारा गोलियां चलवाई गई एवं आंदोलनकारी मातृशक्ति के साथ दुराचार जैसा जघन्य कांड किया गया, 2अक्टूबर 1994 की उस घटना को लेकर आज भी हमारे शरीर व आत्मा में सिहरन पैदा हो जाती है लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आज उत्तराखंड का निर्माण हुए 24 वर्ष बीत गए परंतु आज तक इन राष्ट्रीय दलों की सरकारों ने उन दुराचारियों एवं अत्याचारियों के ऊपर ढंग से कानूनी कार्रवाई करके आज तक उनको सजा नहीं दिलवा पाए इस प्रदेश का निर्माण यहां के मूल निवासियों ने अपनी जान हथेली पर रखकर और 42 शहादते देकर कराया इसलिए कि यहां के नोनीहाल संपन्न हो, यहां के बच्चों को रोजगार मिले, यहां के पहाड़ के गांव संपन्न हों, भ्रष्टाचार से मुक्ति मिले, स्वास्थ्य शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं पहाड़ों के द्वार तक पहुंचे लेकिन हुआ उसके बिल्कुल उलट आज पूरा उत्तराखंड केवल ढाई जिलों तक सीमित रह गया है जिसमें देहरादून हरिद्वार और नैनीताल का जैसे जिलों तक ही पूरा प्रदेश को सरकारों ने सीमित करके रख दिया हैआज आंदोलनकारी की आत्माएं चीत्कार करती होगी कि किस भावना से हमने यह प्रदेश बनाया और किस तरफ ही प्रदेश जा रहा है ना नोनीहालों के लिए नौकरियां हैं , भ्रष्टाचार चरम पर है पहाड़ के गांव खाली होते जा रहे हैं और मैदानी इलाकों में बस्तियों के ऊपर बस्तियां नदी घेरकर बसती जा रही हैं इस प्रदेश का पूरा ढांचा बिगड़ता जा रहा है जीन उद्देश्यों के लिए के प्रदेश बनाया गया था उनसे यह बहुत दूर पहुंच गया है अभी भी समय है कि सब उत्तराखंडी एक साथ खड़े होकर इस प्रदेश को बचाने की लड़ाई लड़ें यही आंदोलनकारी और इन शहीद आंदोलनकारी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी प्रदेश सरकारों द्वारा बार-बार आंदोलनकारी के साथ धोखेबाजी की जा रही है बार-बार उनको ठगा जा रहा है सिर्फ कोरी घोषणाएं की जा रही हैं घोषणाओं को धरती पर नहीं उतरा जा रहा है, न ही आज तक चिन्हीकरण पूरा हुआ है । आज सबको एक साथ खड़े होकर इस प्रदेश को बचाने की लड़ाई लड़नी पड़ेगी यही अपने शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
शैलेश गुलेरी जी ने कहा की सरकार आज आंदोलन के शहीदों को अगर सच्ची श्रद्धांजलि देती है तो प्रदेश में मूलनिवास 1950 लागू करे तभी इस प्रदेश का भला होगा।
गढ़वाल सभा के सचिव सुमन मोहन ममगाई जी ने कहा सभी उत्तराखंडियों को को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सच्चे हृदय से शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करना पड़ेगा तभी इस प्रदेश की उन्नति हो सकेगी और प्रदेश में भू कानून एवं मूल निवास 1950 तथा शीघ्र लागू करने के लिए सभी को जनमानस को सड़क पर खड़ा होकर आंदोलन करना पड़ेगा तभी यह सरकार जागेगी सभी को एक साथ एक जुट होकर इस प्रदेश में मूल निवास और भू कानून के लिए लड़ना पड़ेगा।
गणेश प्रसाद काला ने कहा आंदोलन के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी की प्रदेश को बचाने के लिए सड़को पर संघर्ष करना पड़ेगा मूलनिवास, भूकानून की लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
श्रद्धांजलि देने वालों में नगर अध्यक्ष जयकृष्ण सेमवाल, वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह नेगी , जिला महामंत्री मायाराम ममगईं, जिला उपाध्यक्ष जितेंद्र पंवार, डा. आर एस भट्ट, गढ़वाल सभा के सचिव सुमन मोहन ममगईं, कोषाध्यक्ष त्रिलोक सिंह रावत, आंदोलनकारी मंच से जयंती पटवाल , कमलेश रावत, शांति डंगवाल , ऊषा कोठियाल , सरोज मालासी , भूपेंद्र सिंह बिष्ट नगर उपाध्यक्ष अमजद , बीना पंवार , विजय भट्ट अनिता चौधरी, आशा पंवार, लाजवंती सेमवाल, सुशीला बहुगुणा, पार्वती असवाल, दर्शनी देवी विनोद रावत, आशा बिष्ट, लक्ष्मी देवी, महावीर प्रसाद, दीपक चौहान, सुमन गुलेरिया, यशपाल शर्मा के साथ ही जिले के वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

सविता रानी

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