यूसीसी मे दो बिंदुओं पर संशोधन के लिए यूकेडी द्वारा ज्ञापन दिया गया

विकासनगर तहसील पर उपजिलाधिकारी विकासनगर के द्वारा उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में सहवास संबंधों ( लिव इन रिलेशन ) व सहवास संबंधों में रह रहे अन्य प्रदेशों के नागरिकों को एक वर्ष में स्थाई निवास के अधिकार देने संबंधी प्रावधानों के विरोध में ज्ञापन प्रधानमंत्री भारत सरकार को दिया गया। ज्ञापन सुरेंद्र कुकरेती केंद्रीय संरक्षक  की गरिमामयी उपस्थिति में जिला अध्यक्ष गणेश प्रसाद काला की अध्यक्षता एवम नगर अध्यक्ष जय कृष्ण सेमवाल उपस्तिथि में कार्यकर्ता एवं केंद्रीय, जिले, व नगर के पदाधिकारी के साथ उपजिलाधिकारी को सौंपा।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सुरेंद्र कुकरेती ने कहा वर्तमान सरकार ने समान नागरिक संहिता के नाम पर उत्तराखंड के भोले भाले नागरिकों के साथ छलकर किया है और यूसीसी के नाम पर व्यभिचार को बढ़ावा देने वाले सहवास संबंधी प्रावधानों को लागू किया है। लिव इन रिलेशनशिप के लिए कानून बनाकर प्रदेश की भाजपा सरकार ने यह साबित कर दिया है कि इनका सनातन धर्म और इस देश की संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है ना ही इनको विवाह जैसे पवित्र संस्कार से कोई सरोकार है। एक तरफ जहां चुनाव के समय में हिंदू और मुस्लिम को बांटने के लिए बार-बार लव जिहाद के प्रकरणों को इस सरकार के द्वारा जनता को गुमराह करने के लिए बार-बार फैलाया जाता है, वही उसके उलट इसी सरकार ने सहवास संबंधी प्रावधानों को प्रदेश में लागू कर सभी को इस बात की खुली छूट दे दी है कि आप विवाह किए बिना किसी के भी साथ रह सकते हैं और जब आपका मन आए तो एक फॉर्म भरकर आप उसको वापस छोड़ सकते हैं यह पाश्चात्य संस्कृति से चलन में आया शब्द लाइव इन रिलेशनशिप यहां उत्तराखंड में लागू करने से इस सरकार की मंशा साफ होती है कि सनातन धर्म, सनातन संस्कृति को समाप्त कर यहां पाश्चात्य जो संस्कृति है उसको बढ़ावा देना चाहती है ।
क्या आज उत्तराखंड के मां-बाप अपने बेटों और बेटियों को बिना विवाह के किसी के भी साथ रहने की इजाजत दे देंगे ? यदि नहीं तो यूसीसी में ये प्रावधान क्यों, बार-बार उत्तराखंड की देवभूमि को इन सरकारों के द्वारा प्रयोगशाला के तौर पर प्रयोग किया जा रहा है , जहां तरह-तरह के प्रयोग कर उल्टे सीधे कानून जनता पर थोपे जा रहे हैं उत्तराखंड क्रांति दल सहवास संबंध का जो प्रावधान यूसीसी में किया गया है इसका विरोध करता है और जब तक सरकार वापस ना ले उसके लिए संघर्ष करता रहेगा। समान नागरिक संहिता में एक बिंदु यह भी है कि जो व्यक्ति बाहरी प्रदेशों से आया हुआ एक वर्ष तक यहां पर सहवाग संबंधों में रहेगा उसको एक वर्ष के पश्चात अस्थाई निवासियों की तरह ही समस्त अधिकार प्राप्त होंगे तो हम भाजपा सरकार से पूछना चाहते हैं कि आप बहरी प्रदेश के लोगों को उत्तराखंड की बेटियों के साथ सहवास संबंधों में रहने के लिए प्रेरित करने के लिए अपने प्रावधान दिए हैं। सरकार को तुरंत इस पर जनता को अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए और इस प्रावधान को अभिलंब वापस लेना चाहिए अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो उत्तराखंड क्रांति दल इस पर लंबे संघर्ष के लिए तैयार है जब तक इस कानून सरकार वापस नहीं ले लेती तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। आज हम इस सरकार से पूछना चाहते हैं जहां आज परिवार विघटित होकर के बहुत छोटा रह गए हैं क्या सरकार इस इकाई को भी खत्म करने के पक्ष में है, क्या आज मां-बाप से उनकी संतानों के विवाह तक का अधिकार छीना जा रहा है, और प्रदेश के बेटी और बेटों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रही है कि आप विवाह की जगह लिव इन में रहिए और यदि समझ न आए तो फिर दूसरे के साथ चले जाइए फिर कुछ दिन साथ रहिए फिर एक फॉर्म भरने के बाद फिर तीसरे के साथ चले जाइए । यह सिर्फ और सिर्फ व्यभिचार को बढ़ावा देने के लिए है । हम ऐसा इस देवभूमि में होने नहीं देंगे, इस देव भूमि को अपवित्र नहीं होने देंगे। हम प्रदेश की समस्त जनता से अपील करते हैं उसका आह्वान करते हैं कि आप अपना विरोध दर्ज कीजिए हमारे साथ खड़े होइए जिससे कि हम समान नागरिक संहिता के नाम पर जो प्रावधान किए गए हैं उनको सरकार से खत्म करवा सके, जहां लंबे समय से प्रदेश की जनता मूल निवास 1950 की मांग करती आ रही है उस पर कोई चर्चा ना करके उस पर कोई बात ना करके सरकार यूसीसी जैसे कानून लेकर आती है यूसीसी के इन प्रावधानों का समाज पर बहुत बुरा असर पड़ेगा, जिससे सामाजिक व्यवस्था को छिन्न हो जाएगी हम जनता से अपील करते हैं हम अपने ज्ञापन के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी से अपील करते हैं कि वह तुरंत इस बात का सज्ञान ले की सहवास संबंधी प्रावधानों से देवभूमि की भूमि कलंकित न हो पाए, इस कानून को वापस लेकर देवभूमि के माथे पर जो यहां की सरकार ने कलंक लगाया है उस कलंक को साफ करें। आज मूल निवास 1950 की मांग को लेकर यह प्रदेश लंबे समय से संघर्षरत है यहां के निवासियों को मूल निवास का हक सरकार दे नहीं पा रही हैं उसको बहाल नहीं कर पा रही हैं दूसरी तरफ एक साल पहले आए हुए व्यक्ति को स्थाई निवासी के तौर पर उसको अधिकार देने पर आमादा है इससे यह साबित होता है कि प्रदेश सरकार मूल निवासियों की विरोधी सरकार है और यहां के सामाजिक सांस्कृतिक तने-बने को छिन्न भिन्न करना चाहती है और मूल निवासियों को कमजोर करना चाहती है यूकेडी इसका विरोध करती है और जब तक सरकार यूसीसी कानून के इन प्रावधानों को वापस नहीं ले लेती तब तक संघर्ष करता रहेगा।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दल के वरिष्ठ नेता श्री शैलेश गुलेरी जी ने कहा यह देवों की भूमि देवभूमि है और यहां से सनातन धर्म की गंगा का प्रवाह पूरे देश में बहता है यहीं चार धामों में साक्षात देवी देवता विराजमान है और यह देवभूमि ऋषियों तपसियों और अपने उच्च संस्कृत धार्मिक विरासतों के लिए जानी और पहचानी जाती है, इस देवभूमि के कण कण में देवों का वास है। जहां आज सरकारें अपने आप को सनातन धर्म का रक्षक साबित करने में लगी हुई है वही देवभूमि उत्तराखंड में सनातन धर्म और हिंदू धर्म संस्कृति में 16 संस्कारों का जो विधान है उनमें से एक बहुत ही पुण्य संस्कार विवाह जैसे पवित्र संस्कार को समाप्त करने के लिए यूसीसी में सहवास संबंधी प्रावधानों को लागू किया जा रहा है हम इसका विरोध करते हैं।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष गणेश प्रसाद कला ने कहा की जहां देवभूमि से एक संदेश जाना चाहिए था सनातन धर्म, सनातन संस्कृति के वाहक है, लेकिन इस सरकार की अदूरदर्शिता के कारण देव भूमि से जो संदेश इस देश में गया है वह देवभूमि को कलंकित करने वाला है सरकार ने सहवास संबंधों को जो कानूनी कवच बनाया है उसका उत्तराखंड क्रांति दल विरोध करता है और समस्त मातृशक्ति का आह्वान करता है कि वह अपनी बेटियों और अपने बेटों को इस सरकार के बहकावे में ना आने दे और यूसीसी के इन प्रावधानों का विरोध करें जिसमें सहवास संबंधों को मान्यता दी गई है । यह देवभूमि है यह सरकार इस तरह के कानून बनाकर देवभूमि को कलंकित करने का काम कर रही है जो उत्तराखंड क्रांति दल किसी कीमत पर होने नहीं देगा आज मूल निवासी अपनी मांग को लेकर लंबे समय से संघर्षरत है कि 1950 मूल निवास उत्तराखंड में लागू हो जिस प्रकार की पूरे देश में लागू है। राज्य सरकार मूल निवास बहाल करने में तो नाकाम रही है लेकिन मूल निवासियों के हक पर एक और कुठाराघात उन्होंने यूसीसी कानून के अंतर्गत किया है इसका एक प्रावधान है कि जो 1 साल यहां सहवास में रह रहा हो उसको स्थाई निवासी का अधिकार प्राप्त हो जाएंगे यह मूल निवासियों की भावनाओं से खिलवाड़ है और व्यभिचार को बढ़ावा देने वाला है हम इसका विरोध करते हैं जब तक यह कानून वापस नहीं होगा हम इसका विरोध करते रहेंगे ।

  1. नगर अध्यक्ष जय कृष्णा सेमवाल  ने अपने संबोधन में कहा की यूकेडी यूसीसी में सहवास संबंधों के प्रावधानों का विरोध करता है, सरकार इनको तुरंत वापस ले। 1 वर्ष में स्थाई निवास के अधिकार देना का यूकेडी विरोध करती है,और यहां के मूल निवासियों को उनके हक दिलाने के लिए संघर्ष करता रहेगा और मूल निवास 1950 जब तक लागू न हो उसके लिए आंदोलन चलता रहेगा और सड़कों पर खड़ा रहेगा सरकार को किसी भी बहाने से यहां के मूल निवासियों के हितों पर कुठाराघात करने नहीं दिया जाएगा।
    इस मौके पर केंद्रीय संगठन सचिव प्रकाश भट्ट, जिला उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह नेगी, जिला महामंत्री अतुल बेंजवाल जी, जिला उपाध्यक्ष जितेंद्र पवार,नरेंद्र कुकरेती, ब्लॉक अध्यक्ष भूपेंद्र बिष्ट, जिला महिला उपाध्यक्ष बीना पंवार, ब्लॉक उपाध्यक्ष अमरदेव जोशी, देवी प्रसाद डंगवाल, सुंदरलाल गरौला, कमलेश रावत, जगदीश चंद्र, सुषमा नेगी, संजय रावत, राजश्री देवी, अमित नेगी, अनिल प्रसाद , सुशील कुमार, विपिन , सुनीता चमोली, ममता, पूजा, मोहित सेमवाल, राजेश, सुरेंद्र रावत, रामकिशोर यादव, रजनी देवी, बृजलाल साहू, मुकेश रावत , पूर्ण प्रसाद भट्ट, सचिन साहू, सुरेशानंद , लक्ष्मी प्रसाद कोठियाल, विजय भट्ट , रतन लाल गोदियाल, सरोज नौटियाल, शांति डंगवाल, राखी सजवान , उषा बिष्ट, सुमन गुलरिया, दीपेंद्र रावत , विनोद रावत, पीसी चंदोला, दमयंती कुकरेती , जगदीश प्रसाद जोशी, पंकज बिष्ट, रेखा थपलियाल , अमरावती, सुनीता चमोली , लीला नेगी, विमल कंडवाल, सुशीला कापरवान, लाजवंती सेमवाल , सरस्वती बडोनी, शोभा भंडारी, दमयंती कुकरेती जी, सुशील कुमार, के साथ ही जिले के वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे ।

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